संतानसौख्य
- Oct 13
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मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने वाली चुनिंदा परमसौख्यदायी घटनाओं में से संतानप्राप्ती एक प्रमुख शुभ घटना है।
अपने वंशवृक्ष को बढ़ते और समृद्ध होते देखने का सुख मिलना सौभाग्य की निशानी है। जीवन के किसी न किसी मोड़ पर हर इंसान इस बात को लेकर उत्सुकता रहती है कि यह संतान सौख्य है या नहीं और कैसा है । इस प्रश्न का उत्तर देने का सबसे आसान तरीका ज्योतिषशास्त्र है।
जन्मकुंडली में संततीसौख्य कारक एवं समस्त सुखों के दाता गुरुदेव है और कालपुरुष की कुंडली के अनुसार पंचमस्थान ये संततीस्थान है। इस पंचमस्थान में राशियों, ग्रहों, नक्षत्रों आदि योगों का अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव उस जातक की संतानसुख पर पड़ता है। बहुप्रसव राशियों की उपस्थिति अधिक संतान देती है। राशि में शुभ ग्रहों की उपस्थिति संतान सौख्य प्रदान करती है। पंचमस्थान पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि संतान के लिए बड़ी बाधा मानी जाती है।
शनि महाराज के प्रभाव में संतान देर से और लंबे प्रयास के बाद होती है। क्योंकि शनि महाराज देर से फल देने वाला ग्रह है।उम्मीद से अधिक या अत्यधिक विलंब, भागा दौड़, एक के बाद एक उठ रहे प्रश्न, उनकी सूची और उन्हें हल करने में थकान और निराशा से बचना व्यक्ति के लिए मुश्किल हो जाता है।
अन्य दैत्यग्रहों के प्रभाव से यह संतान मार्ग अधिकही बाधित और दुष्प्रभावित हो जाता है। प्राकृतिक या अप्राकृतिक गर्भपात मनुष्य को अधिक संवेदनशील बनाते हैं।
इसलिए संतान प्राप्ति के समय तज्ञ ज्योतिषियों का मार्गदर्शन बहूमूल्य होता है। क्योंकि यह प्रश्न सिर्फ नवविवाहितों का ही नहीं बल्कि इस सृष्टि में नया जीवन धारण करणे के लिए उत्सुक जीव का भी है। नवयुगुलोंकी की शारीरिक और मानसिक परिपक्वता, इसके स्वागत के लिए आवश्यक होती है।
संतान प्राप्ती के बाद, हमें धन्य महसूस करना चाहिए, हमारे बच्चे हमारी संपत्ति नहीं हैं, बल्कि प्रकृति द्वारा हमें एक नया जीवन का निर्माण करने का अवसर दिया गया है। यदि हम बच्चों के पालन पोषण में समर्पण की भावना विकसित नहीं करते हैं, तो निसर्ग का यह अमूल्य दान व्यर्थ हो जाता है।
"हम बच्चों के पालक हैं, मालक नहीं," यह बात याद रखनी चाहिए।
यदि आप इसके अनुरूप अपना कर्तव्य नहीं निभाते हैं, तो अपने वर्तमान जन्म कुंडली में प्राप्त सुख संतान सुख अगले जन्म कुंडली में कैसे प्राप्त करेंगे ? इस समय एक सुंदर मराठी गीत याद आता है,
"बाळा होऊ कशी उतराई,
तुझ्यामुळे मी झाले आई ।"
श्री.केदार महाडीक
ज्योतिष पंडित, पुणे।



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